लिपिक के साथ मिलकर बिना कार्य कराये कॉरपस फण्ड की धनराशि को लगाया ठिकाने
घोटाला करने के बाद जनपद चित्रकूट करा ली रवानगी
ललितपुर-कृषि विभाग के भूमि संरक्षण इकाई महरौनी में तैनात तत्कालीन भूमि संरक्षण अधिकारी देवेन्द्र निरंजन व एक लिपिक दिनेश अग्निहोत्री का नया कारनामा सामने आया है। जानकारी मिली है कि भूमि संरक्षण अधिकारी देवेन्द्र निरंजन अपने चित्रकूट स्थानांतरण से पूर्व महरौनी इकाई में सालों से पड़े किसान अंशदान (कॉरपस फण्ड ) का 60 लाख रूपये का फर्जी भुगतान बिना कार्य कराये कर गये। आलम यह है कि जिस कार्य के लिए भुगतान किया गया है उसके बिल बाउचर भी तैयार नही है। केवल रूपये निकालकर भूमि संरक्षण अधिकारी ने चार्ज छोड़ दिया।
भूमि संरक्षण विभाग का मुख्य कार्य जल एवं मृदा संरक्षण के कार्य कराना है। इसके लिए भूमि संरक्षण विभाग को हर वर्ष लाखों रूपये कृषि विभाग उपलब्ध कराता है। इस धनराशि से चैकडेम निर्माण, बंधी निर्माण, स्पिल्वे निर्माण, खेत तालाब का कार्य विभाग द्वारा कराया जाता है। जिस किसान के खेत में विभाग द्वारा कार्य कराया जाता रहा है उससे अंशदान के तौर पर कुछ धनराशि विभाग अपने कॉरपस फण्ड में जमा कराता है। यह धनराशि किसान की श्रेणी के अनुसार 10 से 20 प्रतिशत होती है। किसान अंशदान का लगभग 60 लाख रूपये सालों से भूमि संरक्षण अधिकारी महरौनी कार्यालय में जमा हो गया था। सालों मे कई अधिकारी आये परन्तु उन्होंने किसान अंशदान के इस रूपये का उपभोग नही किया।
परन्तु जबसे भूमि संरक्षण अधिकारी महरौनी के पद पर देवेन्द्र निरंजन की तैनाती हुई थी। तबसे विभाग में बड़े पैमाने पर घोटाला करने की साजिश देवेन्द्र निरंजन द्वारा एक रिटायर्ड अवर अभियंता सुकेश राजनंदन सिंह व वरिष्ठ लिपिक के साथ मिलकर तैयार की जा रही थी। विभाग में संचालित हर योजना में भूमि संरक्षण अधिकारी द्वारा घोटाला किया गया। परन्तु सबसे बड़ा घोटाला किसान अंशदान के रूपये की धनराशि में किया गया है।
महरौनी इकाई में जो कॉरपस फण्ड का 60 लाख रूपये एकत्रित हो गया था। उसको व्यय करने के लिए भूमि संरक्षण अधिकारी देवेन्द्र निरंजन द्वारा जिला योजना में बंधी मरम्मत व अन्य मरम्मत के कार्य स्वीकृत करा लिए थे। परन्तु धरातल पर कोई काम नही कराया गया। जुलाई माह में देवेन्द्र निरंजन का स्थानांतरण जनपद चित्रकूट में हो गया। इसी दौरान बिना कार्य कराये व बिल बाउचर तैयार किये बिना ही 60 लाख रूपये का फर्जी भुगतान भ्रष्ट भूमि संरक्षण अधिकारी द्वारा कर दिया गया। इसके बाद अपना चार्ज छोड़कर यहां से रवानगी भी ले ली। भ्रष्टाचार का आलम यह है कि भुगतान के पूर्व बिल बाउचर तैयार कराना भी जरूरी नही समझा। तत्कालीन जिलाधिकारी ने इस मामले की जांच कराने आश्वासन भी दिया था। परन्तु मामला टाय-टाय फिस्स हो गया। इसके पूर्व देवेन्द्र निरंजन खेत तालाब व किसान समद्धि योजना के अन्तर्गत जो बंधी निर्माण के काम कराये गये है उसमें भी बिना कार्य कराये लाखों रूपये का फर्जी भुगतान कर चुके है। इसकी जांच तत्कालीन सीडीओ ने कराने के लिए कहा था। परन्तु इस मामले में भी कार्यवाही नही हो सकी।
भूमि संरक्षण इकाई महरौनी में करोड़ो रूपये का खेत तालाब घोटाला
भूमि संरक्षण अधिकारी महरौनी में बंधी निर्माण के साथ-साथ खेत तालाब के निर्माण में भी बड़े पैमाने पर धांधली की गयी है। सैंकड़ो तालाब कागजों में बनाकर रूपये निकाल लिया गया। परन्तु मौके से तालाबा नदारद है। यह घोटाला लगभग 5 वर्षो से अनवरत चल रहा है। जनपद जालौन में बड़े पैमाने पर खेत तालाब में घोटाला जिलाधिकारी ने पकड़ा था। इसके बाद कई भूमि संरक्षण अधिकारियों पर कार्यवाही भी हुई थी। परन्तु ललितपुर के घोटाले पर अब तक कोई कार्यवाही नही हुई है।