निर्धारित लक्ष्य के सापेक्ष सितंबर में 36.55 प्रतिशत व अक्टूबर में 31.41 प्रतिशत की हुई आय
उप निबंधक महरौनी सरकार की आय से ज्यादा अपनी आय बढ़ाने पर दे रहे जोर
वार्षिक राजस्व लक्ष्य 29 करोड़ का और अक्टूबर तक मात्र 7 करोड़ 70 लाख ही हुआ प्राप्त
ललितपुर। उप निबंधक महरौनी कार्यालय में जबसे अतुल निगम ने कार्यभार संभाला है, तब से राजस्व का निर्धारित लक्ष्य पूर्ण नही हो पा रहा है। स्टाम्प व निबंधक शुल्क से आय के मामले में महरौनी की स्थिति जनपद में सबसे खराब चल रही है। यहां तैनात उप निबंधक शासन का राजस्व बढ़ाने के स्थान पर अपना राजस्व बढ़ाने में व्यस्त है। माह सितंबर व अक्टूबर 2024 में महरौनी कार्यालय में राजस्व का आकंड़ा निर्धारित लक्ष्य से 35 प्रतिशत का लक्ष्य भी पूर्ण नही कर सका। इससे स्प्ष्ट है कि उप निबंधक कार्यालय महरौनी में जहां बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार व्याप्त है। वहीं अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा कार्य में रूचि भी नही ली जा रही है।
स्टाम्प व निबंधक शुल्क से प्राप्त आय का राजस्व में बड़ा योगदान होता है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था में स्टाम्प व निबंधक शुल्क रीढ़ की हड्डी की तरह है। परन्तु जनपद ललितपुर में उप निबंधक कार्यालय महरौनी अपने निर्धारित लक्ष्य से दूर-दूर तक राजस्व के आंकड़े नही छू पा रहा है। जबसे अतुल निगम ने उप निबंधक का कार्यभार संभाला है तब से स्थिति और खराब है और कार्यालय में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार व्याप्त हो गया है। प्रत्येक काम दलालों के माध्यम से होते है और जो बैनामा या अन्य कार्य हो रहे है उसमें भी उप निबंधक की मिलीभगत से राजस्व की चोरी की जा रही है।
जानकारी के अनुसार माह सितम्बर में उप निबंधक कार्यालय महरौनी को 2 करोड़ 15 लाख रूपये का मासिक राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य मिला था। यह राजस्व स्टाम्प व निबंधन शुल्क से प्राप्त होना था। परन्तु निर्धारित लक्ष्य के सापेक्ष मात्र 67.53 लाख रूपये की आय स्टाम्प व निबंधक शुल्क से प्राप्त हुई। जिसमें 52.73 लाख रूपये स्टाम्प ड्यूटी से व 14.80 लाख रूपये निबंधन शुल्क से प्राप्त हुए। इस प्रकार निर्धारित लक्ष्य का मात्र 31.41 प्रतिशत ही राजस्व प्राप्त हुआ। इस दौरान 802 लेखपत्र पंजीकृत किये गये। यही हाल माह अक्टूबर 2024 में रहा है।
अक्टूबर माह में उप निबंधक महरौनी को 2 करोड़ 65 लाख रूपये राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य दिया गया था। जिसके सापेक्ष मात्र 96. 87 लाख रूपये की आय राजस्व के माध्यम से हुई। जिसमें 76.88 लाख रूपये स्टाम्प ड्यूटी व 19’.99 लाख रूपये निबधंन शुल्क से प्राप्त हुए। अक्टूबर माह में आवंटित लक्ष्य के सापेक्ष मात्र 36.55 प्रतिशत राजस्व प्राप्ति का आंकड़ को छू सका। इस दौरान 661 लेखपत्र प्रस्तुत किये गये है। इससे स्पष्ट है कि राजस्व प्राप्ति के लिये जो लक्ष्य आवंटित किये जा रहे है उसको प्राप्त करने में उप निबंधक महरौनी कार्यालय फिसड्डी साबित हो रहा है। इससे स्पष्ट है कि उप निबंधक महरौनी कार्यो में रूचि नही ले रहे है और जो बैनामा किये भी जा रहे है उनमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है।
राजस्व का वार्षिक लक्ष्य पूर्ण करने में कोंसो दूर है उप निबंधक कार्यालय महरौनी
उप निबंधक कार्यालय महरौनी को राजस्व की जो मासिक लक्ष्य प्राप्ति है उनको पूर्ण करने में फिसड्डी साबित हुआ है । वहीं वार्षिक लक्ष्य की स्थिति भी अत्यन्त दयनीय है। जानकारी के अनुसार महरौनी में 29 करोड़ 29 लाख रूपये का वार्षिक राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। लेकिन इसके सापेक्ष अक्टूबर माह तक मात्र 7 करोड़ 70 लाख रूपये की आय भी अब तक हो सकी। जिसमें 5 करोड़ 83 लाख रूपये स्टाम्प ड्यूटी से व 1 करोड़ 87 लाख रूपये निबध्ंान शुल्क प्राप्त हुए है। इस प्रकार अक्टूबर माह तक निर्धारित लक्ष्य का मात्र 26.32 प्रतिशत लक्ष्य ही पूरा हो सका। इस माह तक 7 हजार 194 लेखपत्र पंजीकृत किये गये है।
आवासीय भूमि का कृषि में बैनामा कर सरकार को राजस्व की चपट लगा रहे है उप निबंधक महरौनी
उप निबंधक कार्यालय महरौनी में जबसे अतुल निगम ने कार्यभार संभाला है। तब से न केवल राजस्व प्राप्ति के लक्ष्य पूरे हो पा रहे है। बल्कि जो बैनामा हो रहे है उसमें भी बड़े पैमाने पर स्टाम्प व निबंधन शुल्क की चोरी भी की जा रही है। महरौनी में विगत 8 माह में इस प्रकार के कई बैनामे किये गये जिसमें लाखों रूपये की चोरी की गयी है। 1 जून 2024 को महरौनी में लेखपत्र संख्या 5030 पंजीकृत हुआ था जो कृषि भूमि दर्शाकर कराया गया। जबकि उक्त आराजी में पूर्व में कई बैनामा आवासीय में हुए थे और धारा 80 की कार्यवाही हो चुकी है। इस प्रकार आराजी संख्या 1354 में 1810 वर्गमीटर का बैनामा कृषि में करके सरकार को 12 लाख 73 हजार रूपये के स्टाम्प व निबंधन शुल्क का चूना लगाया था। इसी प्रकार 25 अप्रेल 2024 को उप निबंधक कार्यालय में लेखपत्र संख्या 3494 पंजीकृत हुआ था। यह सिलावन गांव के मुख्य सड़क पर आवासीय भूमि को कृषि में दर्शाकर कराया गया था। इसमें भी प्रभारी निबंधक अतुल निगम ने सरकार को लाखांे रूपये के राजस्व की चपत लगायी थी। इस प्रकार तमाम बैनामा आवासीय भूमि के कृषि में किये गये है। जिसमें सरकार को लाखों रूपये के राजस्व की चपत लगी है।
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