Wednesday, January 15, 2025

महोली आवास घोटालाः  तत्कालीन बीडीओ समेत पंचायत सचिव को नोटिस जारी17

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17 लाभार्थियों को दिया गया 2-2 बार आवास योजना का लाभ

कार्यालय प्रमुख के तौर पर बीडीओ ने नही निभाई अपनी जिम्मेदारी

विकास खण्ड़ बिरधा की ग्राम पंचायत महोली में मनरेगा में भी हुआ बड़ा घोटाला

ललितपुर। विकासखण्ड़ बिरधा की ग्राम पंचायत महोली में हुए आवास घोटाले में अब नया मोड़ आ गया है। अब ऐसे लाभार्थियों की संख्या 9 से बढ़कर 17 हो गयी है। जिन्हें 2-2 बार विभिन्न आवास योजना का लाभ दिया गया है। इस मामले में मुख्य विकास अधिकारी ने बिरधा में तैनात रहे तत्कालीन खण्ड़ विकास अधिकारी दीपेन्द्र पाण्डेय व आलोक कुमार को कारण बताओं नोटिस जारी किया है। वहीं ग्राम पंचायत अधिकारी आनंद सोनी को भी स्पष्टीकरण देकर जबाव मांगा गया है। शिकायतकर्ता ने ऐसे लाभार्थियों की संख्या 36 बताई है। जिन्हें 2-2 बार आवास योजना का लाभ दिया गया है।
ग्राम पंचायत महोली में हर योजना में भ्रष्टाचार होता है। इस ग्राम पंचायत में प्रधान व सचिव कोई रहा हो। लेकिन ग्राम निधि, मनरेगा, आवास योजना से लेकर अन्य योजनाओं में बड़े पैमाने पर धांधली होती चली आ रही है। अब यहां पर आवास योजना में बड़ा घोटाला सामने आया है। शिकायतकर्ता सुरेश कुमार ने कहा है कि 36 व्यक्ति ऐसे है जिन्हे विगत 7-8 वर्ष मे 2 बार आवास योजना का लाभ दे दिया गया। पहले इन्दिरा आवास के अन्तर्गत धनराशि स्वीकृत की गयी। वहीं बाद में प्रधानमंत्री आवास योजना, मुख्यमंत्री आवास योजना के अन्तर्गत फिर से उन्हीं लाभार्थियों को आवास बनाने के लिए धनराशि स्वीकृत कर दी गयी।
27 जनवरी को मुख्य विकास अधिकारी ने आयुक्त ग्राम्य विकास विभाग के लिए  जो पत्र भेजा था उसमें 9 लाभार्थी ऐसे पाये गये थे। जिन्हें 2 बार आवास योजना का लाभ दिया गया। परन्तु इसके बाद 2 अप्रैल 2024 को मुख्य विकास अधिकारी ने जिलाधिकारी को एक शिकायत के क्रम में पत्र भेजकर अवगत कराया है कि 17 लाभार्थी ऐसे है जिन्हे 2010-11 से 2015-16 तक इन्दिरा आवास योजना का लाभ दिया गया और उन्हीं लाभार्थियों को वर्ष 2020-21 व 2021-22 में प्रधानमंत्री/ मुख्यमंत्री आवास योजना का लाभ दिया गया है।
सीडीओ ने पत्र में बताया कि आवास योजना में विकासखण्ड़ कार्यालय पर उपलब्ध मास्टर रजिस्टर एवं एमआईएस पर उपलब्ध आंकड़ो का मिलान किये बगैर प्रधानमंत्री/ मुख्यमंत्री आवास योजना के अन्तर्गत आवास स्वीकृत किये गये और धनराशि भी लाभार्थियों के खातों में अवमुक्त की गयी है। इसके लिए प्रमुख रूप से     खण्ड़ विकास अधिकारीख् ग्राम पंचायत अधिकारी व सहायक लेखाकार दोषी है। इसके लिए सीडीओ द्वारा विकास खण्ड़ बिरधा में पूर्व में तैनात रहे खण्ड़ विकास अधिकारी आलोक कुमार (वर्तमान में आमगढ़ में तैनात), दीपेन्द्र पाण्डेय (वर्तमान में जनपद बहराइच में तैनात), ग्राम पंचायत अधिकारी आनंद सोनी व सहायक लेखाकार को कारण बताओं नोटिस जारी किया है। इसके लिए कार्यालय प्रमुख के तौर पर इनकी जिम्मेदारी तय की गयी है। अब देखना यह है कि खण्ड़ विकास अधिकारी क्या जबाव देते है और इन पर की स्वीकृति को लेकर क्या कार्यवाही की जाती है।

तत्कालीन बीडीओ ने मनरेगा में भी किया बड़ा घोटाला

ग्राम पंचायत महोली में आवास योजना में जो फर्जीवाड़ा हुआ है उसके लिए 2 खण्ड़ विकास अधिकारियों की जिम्मेदारी कार्यालय प्रमुख के तौर पर तय की गयी है। 17 आवास में से 14 आवास बीडीओ आलोक कुमार के समय स्वीकृत हुए थे और उनके द्वारा लाभार्थियों के खातों में धनराशि भेजी गयी थी। वहीं 3 आवास बीडीओ दीपेन्द्र पाण्डेय के द्वारा स्वीकृत किये गये थे और खातों में धनराशि भेजगयी गयी थी। उक्त अधिकारियों द्वारा कार्य में लापरवाही करते हुए आवास में फर्जीवाड़ा किया गया है। अगर आवास का लाभार्थियों का एमआईएस के डाटा से मिलान हो जाता तो यह फर्जीवाड़ा नही होता। लेकिन बीडीओ आलोक कुमार अपनी शिथिल कार्यप्रणाली के लिए चर्चित रहे है। ग्राम झरकौन में मनरेगा में इनके द्वारा घोटाला किया गया था। जिसके लिए तत्कालीन जिलाधिकारी ने बीडीओ आलोक कुमार के विरूद्ध कार्यवाही के लिए पत्र लिखा था।

बीडीओ की शह पर होता है आवास घोटाला, बिरधा की कई ग्राम पंचायतों में सैंकड़ो आवास अपूर्ण
विकासखण्ड़ बिरधा में आवास योजना में सबसे अधिक घोटाला हुआ है। यहां पर प्रधानमंत्री सहित हजारों की संख्या में मुख्यमंत्री आवास भी स्वीकृत हुए है। जिसमें लाभार्थियों से बड़े पैमाने पर रिश्वत ली गयी है। विगत वित्तीय वर्ष में 2244 प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हुए थे। वहीं पठार की ग्राम पंचायतों में मुख्यमंत्री आवास स्वीकृत हुए थे। जिसमें बड़े पैमाने पर धांधली हुई है। परन्तु खण्ड़ विकास अधिकारियों को प्रत्येक आवास पर ठीक-ठाक चढ़ावा मिलता है। इसलिए वह नियमों को ताक पर रखकर काम करते हे। प्रधान व सचिव लाभार्थी के लिए सूची तैयार कर देते है। वहीं बीडीओ द्वारा फाइनल कर दी जाती है। अपात्रों को आवास का लाभ देने में सबसे अधिक कमीशन मिलती है। इसलिए सूची में अपात्रों की भरमार रहती है। विगत वर्ष कई ग्राम पंचायतों में भी आवास में बड़ा घोटाला हुआ था। समाचार पत्र द्वारा प्रमुखता से खबरें प्रकाशित की गयी थी। लेकिन कोई कार्यवाही नही हुई।

ग्राम पंचायत अधिकारी आनंद सोनी
बीडीओ आलोक कुमार

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