अपने पैतृक गांव मालन से परिवार सहित पलायन कर गया था परिवार
रजवारा-उत्तर प्रदेश राज्य में जहां भूमि हीन लोगों को खेती करने हेतू ग्राम सभा की जमीन पर किसानो को पट्टे दिए जाते हैं तो दूसरी ओर आशियाने बनाने पंचायत की जमीन पर आवासीय पट्टा दिए जाते है पर कहानी है ललितपुर तहसील के ग्राम पंचायत रजवारा में निवास करने वाले शुकलाल कोरी की जो मध्य प्रदेश के मालन गांव से गरीबी में परिवार के भरण पोषण करने अपनी ससुराल रजवारा गांव में 35वर्ष पूर्व किराए के घर में रहने लगे पत्नी के दूध मुहे बच्चो को पालने में जिला मुख्यालय में पति पत्नी सहित मजदूरी करते रहे गांव में समय बीतता गया ग्राम पंचायत के चुनाव समय जनप्रतिनिधि ने अपने वोट बैंक के लालच में गांव में नागरिता दिला पंचायत में वोट डालने का अधिकार दिलाया हर पांच वर्ष में चुनाव के खेती हेतू जमीन का पट्टा दिलाने के आश्वासन देकर वोट लेते रहे और गांव पर राज करते रहे पर किसी ने व्यक्ति पर कोई ध्यान नहीं दिया अपनी जिन्दगी के गांव में 35वर्ष बिताने के बाद भी प्रधानों ने उस गरीब परिवार को ग्राम पंचायत की एक इंच ज़मीन का आवासीय पट्टे नहीं दिया जहां सूबे की सरकार के मुखिया अनुसूचित जाति एवम जनजाति के गरीब लोगो के साथ हर मुश्किल में मदद करने का वादा कर रही है वहीं उस परिवार को जिम्मेदारों ने राजस्व की योजना का लाभ तक नहीं दिलाया।